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जग्गा जासूस की 'कश्ती में है तूफ़ान'

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने केटरीना कैफ को भाषण देने के लिए आमंत्रण किया है। जागरूक और जीवंत ऑक्सफ़ोर्ड विविध षेत्रों में सफल लोगो को अपने जीवन व कार्य के अनुभव सुनाने के लिए आमंत्रित करता है ताकि छात्र बदलते हुए समय का कुछ आकलन कर सकें। इसी तरह के अवसर पर पंडित जवाहर लाल नेहरु ने दिए गए भाषण ने उन्होंने अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया है। हमारे विश्वविद्यालय तो राजनीती के अखाड़े बन गए है, जहाँ पढने और पढ़ाने से अधिक अनावश्यक बातों पर ध्यान दिया जाता है। इस दौर में सभी संस्थाओं का विनाश किया जा रहा है ताकि सभी लोग एक-सा सोचें, एक से कपडे पहने और एक सा नीरस और विविध्ताहीन जीवन जीयें। 



आज हम सब समय जानने के लिए घडी देख रहे है, लेकिन घडी के अन्दर कौनसे चक्र कितने घूम रहे है - यह जानना ही नहीं चाहते। याद आता है गुरुदत्त की महान फिल्म 'साहब बीबी और गुलाम' का पात्र बाबू, जिनका काम कोठी की सभी घड़ियों में चाबी भरना और वह सनकी-सा पात्र कहता रहता है, 'सब ख़त्म हो जायगा, सब धुल में मिल जायगा।' यह 'सब' से इसका आशय है सामंतवादी आयाशी और आचारहीनता । बेचारे भोले-भाले घडी बाबु को क्या मालुम था कि सामंतवादी सोच आजादी के बाद तथा प्रिवी पर्स और विशेष विधाओं के ख़त्म किये जाने से और मुह चल दिए जाने के बाद भी रेंगते-ऐंठते सांप की तरह बल खाता रहेगा । वह सामूहिक अवचेतन में बही भी कायम है । 

अंग्रेजों के अधीन गुलामी के समय से ही लोग अपने युवा वर्ग को ऑक्सफ़ोर्ड भेजते रहे है । हमने फ्रांस के बोर्न यूनिवर्सिटी को नजरंदाज़ किया । फ्रांस की क्रांति से गणतंत्र, समानता भाईचारे का आदर्श लोकप्रिय हुआ ये चिरंतन जीवन मूल्य रहे है परन्तु व्यवहारिक राजनीती में इनका समावेश फ्रांस की क्रांति के बाद ही हुआ । 

बहरहाल, एक दशक पहले केटरीना कैफ अभिनय के शेत्र में प्रवेश के भारत आई थी, तब उन्हें ना तो हिंदी या उर्दू बोलना आता था और ना ही डांस करना जानती थी। उनकी एकमात्र योग्यता उनका सुन्दर चेहरा और अरमान जगाने वाला जिस्म था परन्तु अपनी लगन और परिश्रम से ऐसा वक्त भी आया जब वे सलमान, आमिर, शाहरुख़ और अक्षय कुमार की नायिका बनीं । आज वे भारतीय भाषाएँ बोल लेती है तथा अपने शरीर की भाषा व ग्रामर से भी बखूभी परिचित है । उन्होंने अपनी पहली कमाई से आज तक मिलने वाली हर राशि का अधिकांश भाग अपने बचत खाते में डाला है और उसे एक पैसा भी फ़िज़ूल खर्च करना पसंद नहीं है । धन की बचत के प्रति उनका हमेशा तीव्र आग्रह रहा है । वह बटे हुए परिवार की बड़ी लड़की है और अपनी माँ, भाई और 7 बहनों के जीवन यापन को ही अपनी प्राथमिकता मानती है । 

उन्होंने लंदन में एक भवन ख़रीदा है, जिसके ताल माले के किराये से उपरी मंजिल पर रहने वाला उनका परिवार आजीवन अपनी आजीविका चला सकता है क्योकि परिवार की रोटी, कपडा और मकान की व्यवस्था उसने कर दी है । इस तरह की जीवन शेली वाले व्यक्ति को कंजूस कहना फैशनेबल है लेकिन यह एक सच्चा व्यावहारिक द्रष्टिकोण है, जो सिद्ध करता है कि उनके सुडौल कन्धों के ऊपर सोचने-समझने वाला विवेकशील दिमाग है । उन्होंने साहित्य और दर्शन नहीं पढ़ा है लेकिन अपने परिवार की जिम्मेदारी बखूबी उठाई है । 

एक दौर में रणबीर कपूर से उनकी अंतरंगता थी, कभी सलमान का मार्गदर्शन भी उपलब्ध था परन्तु आज वे तनहा है यधपि सलमान खान आज भी उनकी सहायता को तत्पर है । जल्दी ही रणबीर कपूर और केटरीना कैफ की 'जग्गा जासूस' का प्रदर्शन होगा । जीनियस अनुराग बासु ने इस फिल्म को पूरा करने में बहुत समय लिया है । 'बर्फी' जैसी महान फिल्म बनाने वाले अनुराग की सृजन प्रक्रिया अजीब है । वे अपनी कल्पना में उभरी पठकथा को कभी पूरी तरह लिखते नहीं है । वे आशु कवी की तरह फिल्म गढ़ते है । उनके लिए पटकथा और फिल्म वातेर्प्रूफ़ पनडुब्बी की तरह नहीं वरन समुद्र की उतुंग लहरों पर हिचखोले खाती नाव की तरह होती है । 

'जग्गा जासूस' का बॉक्स ऑफिस परिणाम स्वयं बासु और केटरीना कैफ के लिए बहुत ही जरुरी है, क्योकिं प्रभावशाली रणबीर कपूर तो 'सांवरियां', 'बोम्बे वेलवेट' जैसे झटके खाकर भी दुबे नहीं है । कभी रणबीर कपूर की अंतरंग मित्र रही केटरीना कैफ के लिए यह फिल्म बहुत जरुरी है । सारे फ़िल्मी रिश्ते और समीकरण शुक्रवार दर शुक्रवार बदल जाते है । जग्गा जासूस ही नहीं भारतीय सरकार की नाव में है तूफ़ान ।
जग्गा जासूस की 'कश्ती में है तूफ़ान' जग्गा जासूस की 'कश्ती में है तूफ़ान' Reviewed by vasudev on 10:32:00 AM Rating: 5

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